विराम चिन्ह की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण और उनका प्रयोग, Viram Chinh in Hindi

Viram Chinh in Hindi – दोस्तों आज इस पोस्ट में आपको विराम चिन्ह से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी उपलब्ध कराई गई हैं. जैसे – Viram Chinh ki Paribhasha, प्रकार, प्रयोग, और उदाहरण आदि. हमलोग के मन में यह प्रश्न आता हैं; की आखिर विराम चिन्ह का प्रयोग हम क्यों करते हैं. आइए अब विस्तार से जानते हैं.

किसी भी भाषा में Viram Chinh का बहुत ही बड़ा महत्व होता हैं. यदि विराम चिन्ह का प्रयोग सही से नही किया जाए. तो वाक्य का मतलब ही बदल जाता हैं. किसी भी भाषा को लिखते समय वाक्यों में किसी स्थान पर थोड़ा ठहरने विराम देने के लिए लेखक जिस चिन्हों का प्रयोग करता हैं उसे विराम चिन्ह कहते हैं.

विराम चिन्ह की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण और उनका प्रयोग

Viram Chinh in Hindi

विराम चिन्ह की परिभाषा

किसी भी भाषा को लिखते समय लेखक के भाव बोध को सरल बनाने के लिए वाक्यों के अंत में या बीच – बीच में ही ठहराव रुकने के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग किया जाता हैं. उसे विराम चिन्ह कहते हैं.

विराम चिन्ह का अर्थ

विराम चिन्ह का अर्थ होता हैं. की किसी स्थान पर कुछ समय के लिए ठहर जाना, रुक जाना. जब हम किसी भी भाषा में बोलते हैं. या लिखते समय वाक्यों के बीच – बीच में हमें रुकने की आवश्यकता पड़ती हैं. जिससे भाषा शैली अधिक स्पष्ट लगे और उसका भाव बोध अधिक प्रभावशाली लगे. इसलिए हम भाषा को लिखते समय वाक्यों में कुछ विशेष विराम चिन्ह का प्रयोग करते हैं.

विराम चिन्हों का प्रकार

S. No. विराम चिह्न का नाम विराम चिह्न
1 अल्प विराम ,
2 अर्द्ध विराम ;
3 पूर्ण विराम |
4 उप विराम :
5 विस्मयादिबोधक चिन्ह !
6 प्रश्न वाचक चिन्ह ?
7 कोष्ठक ( )
8 योजक चिन्ह
9 अवतरण चिन्ह / उद्धरण चिन्ह ” “
10 लाघव चिन्ह
11 आदेश चिन्ह :-
12 रेखांकन चिन्ह _
13 लोप चिन्ह ………….
14 पुनरुक्ति सूचक चिन्ह ,,
15 विस्मरण चिन्ह ^
16 दीर्घ उच्चारण चिन्ह S
17 तुल्यता सूचक चिन्ह =
18 निर्देशक चिन्ह

विराम चिन्हों का प्रयोग

वाक्यों को लिखते समय विराम चिन्ह का सही से, सही स्थान पर प्रयोग नहीं किया जाए तो अर्थ का अनर्थ हो जाता हैं. और वाक्य अर्थहीन हो जाता हैं.

उदाहरण

रोको मत जाने दो।

इस वाक्य से स्पष्ट होता हैं. की यह सामान्य भाषा में बोल रहा हैं. इसमें वाक्य के अंत में विराम चिन्ह का प्रयोग किया गया हैं.

रोको, मत जाने दो।

यह वाक्य पहले जैसा ही हैं. लेकिन इस वाक्य के बीच में एक विराम चिन्ह का प्रयोग हुआ हैं. अब यहाँ पर इस वाक्य का अर्थ बदल चूका हैं. जिसका अर्थ हैं. उसे रोक लो जाने मत दो.

रोको मत, जाने दो।

यह वाक्य पहले जैसा ही हैं. लेकिन इसमें विराम चिन्ह का स्थान बदल दिया गया हैं. जिससे अब इस वाक्य का अब कुछ और ही अर्थ हो जाता हैं. उसे जाने दो मत रोको.

आपको उपर दिए गए उदाहरण से अब पूरी तरह से पता चल गया होगा. की उपर तीनों वाक्य एक जैसा हैं. लेकिन सिर्फ बीच – बीच में विराम चिन्ह का स्थान बदल जाने के कारण वाक्य का पूरा मतलब अर्थ ही बदल जाता हैं.

(1) पूर्ण विराम चिन्ह – Full Stop (|)

जब हम बोलते हैं. तो वाक्य समाप्त होने के बाद कुछ ठहरते हैं. इसी तरह जब लिखते हैं. तब वाक्य के समाप्त होने के बाद रुकने के लिए पूर्ण विराम चिन्ह (|) लगाते हैं. जिसे अंग्रेजी में Full Stop (.) कहते हैं. इस विराम चिन्ह का प्रयोग प्रश्न वाचक और विस्मय वाचक वाक्य को छोड़कर सभी वाक्यों के अंत में किया जाता हैं.

जब किसी वाक्य का आशय पूरा हो जाता हैं. तब उस वाक्य के अंत में पूर्णविराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं. इसमें वाक्य का छोटा या बड़ा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता.

राम अयोध्या के राजा थे।
सभी विद्यालय खुल गए हैं।
तुम जा रहे हो।
मैं आदमी हूँ।

दोहा, चौपाई, सोरठा, सवैया में भी पूर्ण विराम का प्रयोग किया जाता हैं. जब किसी चौपाई का पहला चरण समाप्त होता हैं. तो एक पूर्ण विराम (|) का प्रयोग किया जाता हैं. और जब दूसरा चरण समाप्त होता हैं. तब दो पूर्ण विराम (||) लगता हैं.

(2) अर्द्ध विराम चिन्ह – Semi Colon (;)

अर्द्ध विराम चिन्ह का प्रयोग तब होता हैं. जब वाक्य में पूर्ण विराम से कम ठहराव होता हैं. इसे अंग्रेजी में Semi Colon (;) कहते हैं.

सूर्यास्त हो चूका हैं; अब अँधेरा छा जाएगा।
मेरे पास धन होगा; तभी में आपकी मदद कर सकता हूँ।

(3) अल्प विराम चिन्ह – Comma (.)

अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग वाक्य में उस स्थान पर किया जाता हैं. जहाँ पर बहुत ही कम समय रुकने की जरूरत होती हैं. यह अर्द्ध विराम से कुछ कम ठहराव रुकने के लिए होता हैं. किसी वाक्य में एक से ज्यादा वस्तुओं को लिखने के लिए भी अल्प विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं.

मैं बजार से पेन, कॉपी, पुस्तक सभी सामान लाया हूँ।
पेड़, पुष्प, झरना, पहाड़, नदी यह सभी इश्वरी देन हैं।

(4) उप विराम चिन्ह – Colon (:)

इसे अपूर्ण विराम चिन्ह भी कहा जाता हैं. यह चिन्ह (:) विसर्ग की दो विन्दुओं की तरह होता हैं. इसलिए कभी – कभी इनको लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती हैं. इसका प्रयोग शीर्षक के आगे होता हैं.

तुलसीदास : एक अध्यन
विज्ञान : वरदान या अभिशाप

(5) प्रश्न वाचक चिन्ह – Questions Mark (?)

जब कोई किसी से किसी प्रकार का प्रश्न पूछता हैं. तब हम उस वाक्य के अंत में प्रश्न वाचक चिन्ह (?) का प्रयोग करते हैं. यह चिन्ह उन वाक्यों में होती हैं. जिस वाक्य में क्यों, कैसे, कब, कहाँ, क्या आदि जैसे शब्द होते हैं.

आपका क्या नाम हैं?
तुम कब जाओगे?

(6) योजक चिन्ह – Hyphen (-)

वाक्य में दो शब्दों के सम्बन्ध बताने के लिए योजक चिन्ह (-) का प्रयोग किया जाता हैं. दो शब्दों के तुलना करने के लिए भी इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं. लेकिन दोनों शब्द स्वतन्त्र अस्तित्व में होता हैं.

माता – पिता
दिन – रात
लाभ – हानि

(7) कोष्टक चिन्ह – Bracket ()

वाक्यों को लिखते समय वाक्यों के बीच में कठिन शब्दों का अर्थ को स्पष्ट करने के लिए उस शब्द के आगे कोष्टक में उस कठिन शब्द के अर्थ को लिख देते हैं. जिससे उस शब्द एवं वाक्य का अर्थ सही रूप से स्पष्ट हो सकें. कर्म सूचक अंकों लिखने के लिए भी कोष्टक चिन्ह का प्रयोग किया जाता हैं. जैसे – (1) व्याकरण, (2) निबंध आदि.

दशानन (रावण) एक बहुत ही अहंकारी राजा था।
धर्मराज (युधिष्ठिर) सत्य और धर्म के संरक्षण के लिए जाने जाते थे।

(8) उदाहरण चिन्ह या अवतरण – Inverted Comma (“ “)

किसी के द्वारा कही गई कोई विशेष बात को लिखने के लिए उदाहरण चिन्ह (“ “) का प्रयोग किया जाता हैं. जिससे वह लिखी गई बातें को उदाहरण चिन्ह द्वारा उस वाक्य को विशेष प्रकार से दर्शाया जा सके.

“अहिंसा परमो धर्म।”
“हमेशा सत्य बोलो।“

(9) विस्मयादिबोधक चिह्न – Exclamation mark (!)

वाक्य में जब आश्चर्य, शोक, घृणा, हर्ष, करुणा, भय का भाव व्यक्त करना हो तब शब्द के साथ विस्मयादिबोधक चिह्न (!) का प्रयोग किया जाता हैं. जैसे – अरे!, काश!, हाय!, ओह! आदि.

अरे! आप यहाँ पर कैसे?
काश! में अच्छी तरस से पढ़ लिया होता।

(10) संक्षेप सूचक चिन्ह / लाघव चिन्ह – abbreviation (o)

जब किसी बड़े शब्द को संक्षेप में लिखना हो तो उस शब्द के पहले अक्षर को लिखकर उसके आगे संक्षेप सूचक चिन्ह (o) लगा देते हैं. इस चिन्ह का प्रयोग किसी शब्द के संक्षिप्त रूप में लिखने के लिए होता हैं.

उत्तर प्रदेश – ऊo प्रo
मध्य प्रदेश – मo प्रo

(11) निर्देशक चिन्ह – Dash Mark (-)

इस चिन्ह को तब प्रयोग में लाया जाता हैं. जब लेखन में निर्देशन देना हो. किसी विचार विषय पर विवरण को सुस्पष्ट करना होता हैं.

प्रश्न – तुम कहा जाओगे?
उत्तर – मैं दिल्ली तक जाऊंगा।

उपर प्रश्न एवं उत्तर के सामने जिस चिन्ह का प्रयोग किया गया हैं. वह निर्देशक चिन्ह हैं.

(12) विवरण चिन्ह – Command mark (:-)

जब किसी विवरण को विशेष रूप से शुरू करना होता हैं. एवं किसी कथन को विस्तार पूर्वक समझाना होता हैं. तब विवरण चिन्ह (:-) का प्रयोग किया जाता हैं.

(13) विस्मरण / त्रुटिपूर्ण चिन्ह – Oblivion Sign (^)

जब लिखते समय वाक्य में कोई शब्द छुट जाता हैं. तब उस वाक्य को दुबारा सुधारने के लिए त्रुटिपूर्ण चिन्ह (^) का प्रयोग किया जाता हैं. वाक्य में जहाँ पर सुधार करना हैं. वहा पर इस चिन्ह को लगाकर उसके उपर वह शब्द लिख दिया जाता हैं.

(14) तुल्यता सूचक चिन्ह – Equivalence indicator (=)

इस चिन्ह का प्रयोग जब दो पक्षों को बराबर दिखाना होता हैं. तब किया जाता हैं. इसके लिए तुल्यता सूचक चिन्ह (=) का प्रयोग किया जाता हैं.

पिता = छत्रछाया
माता = प्रेम का सागर

(15) दीर्घ उच्चारण चिन्ह – Long accent mark (S)

जब किसी विशेष शब्द को वाक्य में अन्य शब्दों के अपेक्षा उच्चारण करने में ज्यादा समय लगता हैं. तब उस शब्द के आगे दीर्घ उच्चारण चिन्ह (S) का प्रयोग किया जाता हैं.

(16) पुनरुक्ति सूचक चिन्ह – Repetition indicator (,,)

जब एक ही शब्द को बार – बार नहीं लिखना पड़े तो उसके लिए पुनरुक्ति सूचक चिन्ह (,,) का प्रयोग किया जाता हैं. इसे Repetition indicator भी कहते हैं.

आर्यन आलोचक
अमित कवि
रामधारी सिंह दिनकर ,,
रामचंद्र शुल्क निबंधकार

(17) लोप चिन्ह – Omission mark (……)

जब वाक्यों को लिखने वक्त कुछ वाक्य के अंश को छोड़ना होता हैं. तब लोप चिन्ह (……) का प्रयोग किया जाता हैं.

(18) रेखांकन चिह्न – Underline (_)

जब वाक्यों को लिखते समय बीच – बीच में कोई महत्वपूर्ण शब्द आये तो उस शब्द को विशेष दिखने के लिए रेखांकन चिह्न (_) का प्रयोग किया जाता हैं.

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